Print Icon हिंदी वैज्ञानिक संगोष्ठी (बीएसओआई 26 मार्च 2021 )
परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय में अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित वैज्ञानिक संगोष्ठी – संक्षिप्त रिपोर्ट

 

दिनांक 26.03.2021 को पुलिन बालू एवं अपतटीय अन्वेषण, विशाखापट्टणम, परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय (पखनि) द्वारा वर्चुअल माध्यम से “भारतीय नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम में प्लेसर खनिज निक्षेप : वर्तमान स्थिति एवं भविष्य की संभावनाएँ” विषय पर अखिल भारतीय स्तर पर हिन्दी में वैज्ञानिक संगोष्ठी का सफल आयोजन किया गया । इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उत्कृष्ट वैज्ञानिक श्री डी.वेंकटेश्वर्लु, पूर्व परियोजना निदेशक, भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र, विशाखापट्टणम वेबेक्स द्वारा पुलिन बालू एवं अपतटीय अन्वेषण अनुभागीय कार्यालय (विशाखापट्टणम) से एवं विशिष्ट अतिथि के रूप से श्री के.रमेश कुमार, पूर्व अपर निदेशक, पखनि ने मुख्यालय, बेगमपेट, हैदराबाद में भाग लिया। डॉ. दीपक कुमार सिन्हा, निदेशक, पखनि ने वैज्ञानिक संगोष्ठी की अध्यक्षता की ।

इस संगोष्ठी का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन एवं सरस्वती वंदना के साथ हुआ । संगोष्ठी का परिचय संगोष्ठी के संयोजक श्री राजन चोपड़ा ने किया । डॉ. एरिक ड्रिक्रूज़, प्रधान, बीएसओआई ने स्वागत संबोधन प्रस्तुत किया ।

पखनि मुख्यालय, हैदराबाद एवं बीएसओआई, विशाखापट्टणम में वैज्ञानिक संगोष्ठी-सारांश पुस्तिका का एक साथ विमोचन मुख्य अतिथि श्री डी.वेंकटेश्वर्लु, विशाखापट्टणम अनुभागीय कार्यालय से एवं विशिष्ट अतिथि श्री के.रमेश कुमार, निदेशक, पखनि डॉ. दीपक कुमार सिन्हा, अपर निदेशकगण श्री भास्कर सरवणन, डॉ. टी.एस.सुनील कुमार एवं श्री आर. मामलन के करकमलों द्वारा किया ग या ।

मुख्य अतिथि श्री वेंकटेश्वर्लु ने अपने संबोधन में कहा कि प्लेसर निक्षोपों के संबंध में हिन्दी में वैज्ञानिक संगोष्ठी का आयोजन काफी प्रशंसनीय है और भारतीय नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम में इसकी काफी अहम् भूमिका है । इस अवसर पर उन्होंने परमाणु खनिज निदेशालय के समस्त वैज्ञानिकों को इस संगोष्ठी हेतु बधाई दी । विशिष्ट अतिथि श्री के.रमेश कुमार ने अपने भाषण में कहा कि वे खुद इस फील्ड में 39 वर्ष कार्य कर चुके हैं और नवागत वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि उन्हें प्लेसर निक्षेपों के संबंध में और आगे बढ़कर कार्य करना है और भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम में अहम भूमिका निभानी है।

डॉ. दीपक कुमार सिन्हा, निदेशक, पखनि अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि पखनि प्रति वर्ष दो वैज्ञानिक संगोष्ठियों का आयोजन हिन्दी में करता है। अब तक 40 से अधिक वैज्ञानिक संगोष्ठियों का सफल आयोजन किया गया । पहली बार प्लेसर निक्षेपों के संबंध में यह वैज्ञानिक संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है । इसमें कुल 15 शोध-पत्र प्रस्तुत किए गए और पूर्ण शोध-पत्रों को परमाणु खनिज स्मारिका में प्रकाशित किया जाएगा । इस स्मारिका को आईएनआई द्वारा शीर्षक कोड भी आबंटित किया गया है ।

इस वैज्ञानिक संगोष्ठी के दौरान कुल 03 तकनीकी एवं समीक्षा सत्र आयोजित किए गए। द्वितीय तकनीकी सत्र में डॉ. दीपक कुमार सिन्हा, निदेशक, पखनि द्वारा “भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम में प्लेसर निक्षेपों का योगदान” विषय पर मुख्य व्याख्यान प्रस्तुत किया गया ।

प्रथम सत्र में सत्राध्यक्ष के रूप में अपर निदेशक (प्रचालन-1) श्री भास्कर सरवणन एवं प्रतिवेदक के रूप में प्रधान, बीएसओआई डॉ. एरिक डिक्रूज़ रहे । इसमें पुलिन बालू खनिजों के अन्वेषण पर कुल 08 शोध-पत्र वर्चुअल माध्यम से प्रस्तुत किए गए ।

द्वितीय सत्र में सत्राध्यक्ष के रूप में अपर निदेशक (अनुसंधान एवं विकास) डॉ. टी.एस.सुनील कुमार एवं प्रतिवेदक के रूप में प्रधान, आरएमआरई श्री के.एल.मून्दड़ा रहे । इसमें अनुवियल एवं कोलुवियल प्लेसर में विरल धातु-खनिज पर कुल 4 शोध-पत्र प्रस्तुत किए गए ।

तृतीय सत्र के सत्राध्यक्ष के रूप में अपर निदेशक (प्रचालन-II) श्री आर.मामलन एवं प्रतिवेदक के रूप में डॉ. नवीन गोयल रहे । इसमें पेलियो-प्लेसर्स पर 2 शोध-पत्र प्रस्तुत किए गए।

इस संगोष्ठी की समीक्षा मुख्य रूप से विशिष्ट अतिथि श्री के.रमेश कुमार ने विस्तार से की और नव वैज्ञानिकों को प्लेसर निक्षेपों के संबंध में महत्वपूर्ण अन्वेषण कार्य हेतु प्रेरित किया । इस समीक्षा सत्र में मुख्य अतिथि श्री डी.वेंकटेश्वर्लु ने कहा कि हिन्दी में बहुत ही आसानी से शोध-पत्र प्रस्तुत किए गए । अंत में डॉ. दीपक कुमार सिन्हा, निदेशक, पखनि ने सभी वैज्ञानिकों को इस वैज्ञानिक संगोष्ठी को सफल बनाने हेतु बधाई दी और अन्वेषण कार्य निरंतर करने हेतु संदेश दिया।

कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि श्री डी.वेंकटेश्वर्लु को विशाखापट्टमण अनुभागीय कार्यालय एवं एवं विशिष्ट अतिथि को पखनि मुख्यालय में शाल ओढ़कर सम्मानित किया गया । अंत में श्री राजन चोपड़ा ने सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया ।


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