स्वतंत्रता प्राप्ति के एक वर्ष के भीतर, भारत सरकार ने परमाणु ऊर्जा के विकास व नियंत्रण हेतु अप्रैल 1948 में परमाणु ऊर्जा अधिनियम पारित किया । इस अधिनियम के तहत 10 अगस्त 1948 को तीन उद्देश्यों को लेकर परमाणु ऊर्जा आयोग का गठन किया गया ।
- परमाणु ऊर्जा अधिनियम के उपबंधों के द्वारा परमाणु ऊर्जा के संबंध में भारत सरकार को प्राप्त शक्तियों का प्रत्यायोजन करते हुए राष्ट्र हितों की रक्षा के लिए समय-समय पर अपेक्षित कदम उठाना ।
- परमाणु ऊर्जा के संबंध में उपयोगी खनिजों की खोज करने के लिए देश के विभिन्न भागों का सर्वेक्षण करना ।
- अपनी प्रयोगशालाओं में अनुसंधान को बढ़ावा देना तथा वर्तमान संस्थानों व विश्वविद्यालयों में ऐसे अनुसंधान को आर्थिक सहायता प्रदान करना ।
उपरोक्तानुसार परमाणु खनिजों के सर्वेक्षण का उत्तरदायित्व प.ख.नि. को सौंपा गया । इस उपबंध के तहत प.ख.नि. को
- यूरेनियम तथा अन्य विहित पदार्थों जैसे थोरियम, बेरिलियम, लिथियम, ज़िरकोनियम, नियोबियम, टैन्टालम, रेअर-अर्थ्स व अन्य जैसे इल्मेनाइट और रुटाइल के लिए अन्वेषण करने का अनन्य अधिकार प्राप्त है ।
- निजी खान मालिकों से, अन्य किफायती खनिजों के खनन के लिए प्रासंगिक रूप से उत्पादित विहित खनिजों को सरकार द्वारा समय-समय पर तय किए गए मूल्यों पर खरीदने का अनन्य अधिकार प्राप्त है ।
- (क) रेडियोमेट्रिक उपस्करों की डिज़ाइनिंग व फैब्रिकेशन (ख) ट्रेस व अल्ट्राट्रेस स्तरों पर बहु-तात्विक निर्धारण के लिए नयी एनालिटिकल तकनीकों का विकास तथा (ग) पेट्रोमिनेरैलोजिकल कैरेक्टराइज़ेशन व रेडियोऐक्टिव अयस्कों के खनिज सज्जीकरण पर अनुसंधान तथा विकास कार्य आरंभ करना ।