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नियम और शर्त

आम जनता में सूचना का प्रसार करने के लिए "परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, भारत सरकार" की यह आधिकारिक वेबसाइट विकसित की गई है। हालांकि, इस वेबसाइट पर सामग्री की सटीकता और शुद्धता को सुनिश्चित करने के सभी प्रयास किए गए हैं, फिर भी इसे विधिक कथन अथवा किसी विधिक प्रयोजन के रूप में नहीं माना जाए। 

किसी भी घटना में परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय, किसी भी खर्च, हानि या क्षति, सीमा के बिना, अप्रत्यक्ष या परिणामी हानि या क्षति सहित अथवा इसके प्रयोग से उत्पन्न होने वाली, या डेटा के प्रयोग से होने वाली हानि या इस वेबसाइट के उपयोग से संबंधित उत्पन्न होने वाले किसी भी प्रकार के, या किसी भी खर्च, हानि या नुकसान के लिए के लिए उत्तरदायी नहीं होगा। अधिनियम, नियम, विनियम, नीति संबंधी कथन आदि के बारे में वेबसाइट पर जो उद्धृत किया गया है और संबंधित अधिनियम, नियम, विनियम, नीति संबंधी कथन आदि में निहित के बीच में कोई अंतर पाए जाने पर बाद वाला माना जाएगा। 
परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय, परमाणु ऊर्जा विभाग की वेबसाइट से बिना किसी पूर्व सूचना के वेब सामग्री में परिवर्तन किया जा सकता है। 
इस वेबसाइट पर सम्मिलित किये गये अन्य वेबसाइटों के लिंक केवल जनता की सुविधा के लिए उपलब्‍ध कराए गए हैं। परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय लिंक की गई वेबसाइटों की सामग्री अथवा विश्वसनीयता के लिए जिम्मेदार नहीं है और न ही उनके भीतर व्यक्त विचार का समर्थन करता है। यह गारण्‍टी भी नहीं दी जाती है कि ऐसे लिंक किये गये पृष्‍ठ सदैव उपलब्‍ध रहेंगे। 
इस वेबसाइट पर प्रदर्शित सामग्री का नि:शुल्क किया जा सकता है। यद्यपि, सामग्री सही रूप में पुनर्उद्धृत की जाए और न कि अपमानजनक तरीके से अथवा गुमराह करने के संदर्भ में प्रयोग की जाए। जहॉं कहीं भी सामग्री प्रकाशित की जा रही है या दूसरों को दी जा रही हो तो उसके स्रोत का प्रमुखता से आभार माना जाए। तथापि, इस सामग्री का पुनर्उद्धरण करने की अनुमति तृतीय पक्ष का कॉपी राइट होने के रूप में पहचानी गई सामग्री के लिए नहीं है। ऐसी सामग्री का पुनर्उद्धरण करने का प्राधिकार संबद्ध विभागों / कॉपीराइट धारकों से अनिवार्यत: प्राप्त किया जाए।
ये निबंधन और शर्तें भारतीय नियमों के अनुसार शासित होंगी  और मानी जाएंगी। इन निबंधन और शर्तों के तहत उत्पन्न होने वाला कोई  भी विवाद भारत के न्यायालयों के विशिष्‍ट क्षेत्राधिकार के अधीन होगा।