विरल धातुओं (Rare Metal) के अंतर्गत नायोबियम (Nb), टैंटलम (Ta), लिथियम (Li), बेरिलियम (Be), सीजीयम (Cs) आदि और विरल मृदा (Rare Earth) में लेंथानम (La) से ल्यूटेशियम (Lu) के अलावा स्कैंडियम (Sc) और इट्रियम (Y) आते हैं । ये धातुएं प्रकृति में सामरिक प्रकार के होते हैं और इनका व्यापक अनुप्रयोग नाभिकीय क्षेत्र एवं इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार, सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, रक्षा आदि जैसे उच्च तकनीक उद्योगों में किया जाता है । आर.एम.आर.ई ग्रुप पिछले छह दशकों से इन धातुओं के लिए अनुकूल भौगोलिक वातावरण में आधारभूत संसाधन उपलब्ध करने के लिए अन्वेषण कार्य कर रहा है। इन धातुओं के महत्वपूर्ण खनिजों में बेरिल (Be), लेपिडॉलाइट (Li), स्पोडुमीन (Li), एम्बिगोनाइट (Li), कोलम्बाइट- टैंटालाइट (Nb-Ta), पाइरोक्लोर (Nb) और जीनोटाइम (Y एवं REE) आते हैं।
उपस्थिति
Tबेरिल, कोलंबाइट-टैंटालाइट, लेपिडॉलाइट, स्पोडुमीन, एम्बिगोनाइट आदि खनिज सामान्यतः भारत के विभिन्न राज्यों में जैसे राजस्थान, बिहार, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु के पेग्मेटाईट क्षेत्रों में पाए जाते हैं । पाइरोक्लोर कार्बोनाटाइट कॉम्प्लेक्स में पाया जाता है जबकि जीनोटाइम मध्य भारत में नदी के प्लेसर्स में पाया जाता है। भारत में ऐसे खनिजों की धातु की मात्रा निम्नानुसार है:
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1 |
बेरिल |
10 - 13 % BeO |
2 |
कोलमबाइट-टैंटालाइट |
26 - 80 % Nb2O5 |
6 - 70 % Ta2O5 |
3 |
लेपिडोलाइट |
3 - 5 % Li2O |
4 |
स्पोड्यूमीन |
4 - 6% Li2O |
5 |
एम्बिगोनाइट |
8 - 10% Li2O |
6 |
जीनोटाइम |
32 - 40% Y2O3 |
18 - 19% HREE |
पुनःप्राप्ति प्रचालन (रिकवरी ऑपरेशंस)
लघु स्तर पर कोलंबाइट-टैंटलाइट की पुनःप्राप्ति का प्रचालन कार्य (3-5 टन प्रति वर्ष) पेग्मैटाइट पूर्वेक्षण के साथ साथ किया जाता हैं । कोलंबाइट-टैंटलाइट भारी होता है (Sp.gravity 5.3-7.8) और क्वार्ट्ज और फेल्सपार (Sp.gravity 2.8) हलके होने के कारण अन्य पेगमैटिटिक खनिजों से अलग गुरुत्वाकर्षण पृथक्करण विधि (Gravity separations) से किए जाते है । विगत में, कई पुनःप्राप्ति संयंत्र बिहार माइका बेल्ट, झारखंड और बस्तर-मलकाजगिरि पेग्मैटाइट बेल्ट, छत्तीसगढ़ में कोलंबाइट-टैंटलाइट की रिकवरी के लिए स्थापित किए गए थे।
इसके अलावा, कर्नाटक में मर्लागल्ला, मुंदुर और अरेहल्ली में सह-उत्पाद के रूप में स्पॉडूमैन के साथ कोलंबाइट-टैंटलाइट की पुनःप्राप्ति के लिए संयंत्र लगाये गए हैं । बेरिल, जो इन पेग्मैटाइट में उपलब्ध होता है, आम तौर पर रंग, चमक और हेक्सागोनल क्रिस्टलीय रूप के आधार पर दस्ती तौर पर अलग व पुनःप्राप्त किया जाता है। वर्तमान में यह प्रचालन मंड्या जिले, कर्नाटक और झारसुगुडा जिले, ओडिशा में किए जा रहे हैं ।
मर्लागल्ला, मंड्या जिला ,कर्नाटक एवं जंगापारा, झारसुगुडा जिला , ओडिशा में Nb-Ta पुनःप्राप्ति संयंत्र
जीनोटाइम, इट्रीयम (Y) और विरल मृदा (REE) धारी फॉस्फेट खनिज है क्रमशः छत्तीसगढ़ और झारखंड में सिरी नदी और देव नदी के प्लेसरों से मिलता है। जीनोटाइम छोटानागपुर ग्रेनाइट नाइस कॉम्प्लेक्स (सी.जी.जी.सी.) से होते हुए नदियों में मृदा (क्वार्ट्ज और फ़ेलस्पेर) में मिलता है। जीनोटाइम एक भारी खनिज (Sp.gravity 4.5) है। अन्य भारी खनिजों में मोनाजाइट, जिर्कान, इल्मेनाइट, मैग्नेटाइट, गार्नेट, कोलम्बाइट आदि भी मौजूद हैं। वर्तमान में छत्तीसगढ़ के जाशपुर जिले में नदी के तट से जीनोटाइम धारी पॉलिनेनिकिक सांद्रण (~ 6 टन प्रतिवर्ष) प्राप्त किए जाते हैं।.
सीरी नदी पर जीनोटाइम बेरिंग प्लेसर एवं कुंकुरी, छत्तीसगढ़ में पुनःप्राप्ति संयंत्र
इसके अलावा, कठोर पत्थरों में आर.एम.आर.ई. खनिजकरण के लिए अंबाडोंगार, गुजरात और सिवान रिंग कॉम्प्लेक्स राजस्थान के कार्बोनटाइट और क्षारीय चट्टानों में पूर्वेक्षण कार्य किया जा रहा है।
प.ख.नि. नायोबियम-टैंटालम एवं बेरिलियम के अयस्क एवं नायोबियम-टैंटालम स्लैग (Nb-Ta Slag) जो टिन (Sn) प्लांट से प्राप्त होता है की खरीद एवं लेपिडॉलाइट (लिथियम खनिज) की विक्री, भारत सरकार द्वारा निर्धारित खरीद-विक्री दर पर करता है।