Print Icon निदेशक का प्रोफाइल

 

 

श्री बी. सरवणन ने मद्रास विश्वविद्यालय से भूविज्ञान में मास्टर डिग्री प्राप्त करने के बाद 1986 में परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय (एएमडी) में अपनी सेवारंभ की । आप भारत के दक्षिणी, पूर्वी, पश्चिमी और पूर्वोत्तर भागों के विभिन्न भूवैज्ञानिक डोमेन में परमाणु खनिजों के अन्वेषण और अनुसंधान में 36 वर्षों से अधिक समय तक विभिन्न क्षमताओं में सक्रिय रूप से कार्यरत हैं। एक टीम लीडर के रूप में, आपने कलडगी-भीमा बेसिन, कर्नाटक, कडप्पा बेसिन के दक्षिण-पश्चिमी भाग में तुम्माल्लपल्ले, झारखंड में सिंहभूम शियर ज़ोन, हरियाणा और राजस्थान के उत्तरी दिल्ली फोल्ड बेल्ट और असम में मिकिर हिल्स में पखनि के कुछ प्रमुख क्षेत्रों को विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। श्री बी. सरवणन को धर्मपुरी शियर जोन, तमिलनाडु, सिवाना रिंग कॉम्प्लेक्स, राजस्थान के क्षारीय परिसरों और यूरेनियम, विरल धातुओं और विरल मृदा (आरएमआरई) के लिए अंबाडोंगर के कार्बोनेटाइट्स के आर्थिक महत्व को उजागर करने का श्रेय प्राप्त है। उनकी कुशल और अभिनव अन्वेषण रणनीति के परिणामस्वरूप आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और झारखंड राज्यों में परमाणु खनिजों का बड़े पैमाने पर संवर्धन किया जा सका ।

श्री बी. सरवणन देश के विभिन्न भागों में यूरेनियम और अन्य परमाणु खनिजों के अन्वेषण कार्यक्रमों की समग्र योजना, पर्यवेक्षण, मार्गदर्शन और निष्पादन के साथ दिसंबर 2022 से निदेशक, पखनि का उत्तरदायित्व निभा रहे हैं। श्री. बी. सरवणन ने कई विश्वविद्यालयों/संस्थानों और अनुसंधान एवं विकास संस्थानों के साथ संबंध स्थापित किया, जिसके परिणामस्वरूप इन संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए । श्री बी. सरवणन को पऊवि द्वारा कनाडा में पीडीएसी और दक्षिण अफ्रीका में खनन इंडाबा में अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों भाग लेने के लिए प्रतिनियुक्त किया गया था। श्री बी. सरवणन जियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया, बेंगलुरु के सदस्य, मिनरलोजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया, मैसूर के आजीवन सदस्य और इंडियन न्यूक्लियर सोसाइटी, मुंबई के आजीवन सदस्य हैं। श्री बी. सरवणन को ग्रुप लीडर के रूप में कंचनकायी यूरेनियम निक्षेप एवं इसके परिवेश में यूरेनियम संसाधनों के संवर्धन के लिए वर्ष 2018 के लिए डीएई ग्रुप अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया है ।

श्री बी. सरवणन ने प्रतिष्ठित राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं और राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक मंचों में 50 से अधिक शोध लेख प्रकाशित/प्रस्तुत किए हैं। उनके प्रकाशन अन्वेषण भूविज्ञान में नई अवधारणाओं की ओर उन्मुख हैं जिनका उपयोग पखनि के यूरेनियम अन्वेषण कार्यक्रम में किया जा रहा है।

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